यह प्राधिकरण स्वयं तथा अपने जिला विधिक सेवा संस्थानों के माध्यम से उत्तर प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में विभिन्न महत्वपूर्ण कानूनी विषयों पर कानूनी साक्षरता और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इस उद्देश्य से एक कार्रवाई योजना भी लागू की गई है, जिसके अंतर्गत राज्य भर में विषय-आधारित कानूनी जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाता है। यह प्राधिकरण शैक्षणिक संस्थानों एवं गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के सहयोग से विशाल कानूनी जागरूकता शिविरों (Mega Legal Awareness Camps) का भी आयोजन करता है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके। माइक्रो कानूनी साक्षरता शिविर भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा पैरा लीगल वॉलंटियर, पैनल वकील, तहसीलदार, तथा कानून के छात्र और विधि महाविद्यालयों के सहयोग से ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में आयोजित किए जाते हैं। इन शिविरों के माध्यम से समाज के जरूरतमंद और कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की जाती है तथा उन्हें उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कुछ विशेष विषयों पर बड़ी संख्या में लोगों को जागरूक करने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इन में शामिल हैं: सर्वाइकल कैंसर, एड्स (AIDS), ट्रांसजेंडरों के अधिकार, महिलाओं एवं बच्चों के अधिकार, कैदियों के अधिकार, वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार, संपत्ति अधिकार, हाशिए पर रहने वाले लोगों के अधिकार आदि।
उद्देश्य
- सशक्तिकरण (Empowerment): लोगों को उनके कानूनी अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में शिक्षित करना।
- न्याय तक पहुंच (Access to Justice): गरीब और कमजोर वर्गों के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच को बढ़ावा देना।
- शोषण की रोकथाम (Prevention of Exploitation): जागरूक नागरिकों के माध्यम से अन्याय और शोषण की घटनाओं को कम करना।
- विधिक सहायता योजनाओं का प्रचार (Promotion of Legal Aid Schemes): निःशुल्क कानूनी सहायता और लोक अदालत प्रणाली के बारे में जानकारी देना।