- समस्त न्यायालयों/प्राधिकरणों/अधिकरणों/आयोगों के समक्ष विचाराधीन मामलों में विधिक सेवायें उपलब्ध करायी जाती हैं।
- गरीब तथा आम व्यक्तियों के लिए न्यायशुल्क सहित वकील की फीस एवं अन्य सभी आवश्यक वाद व्यय प्रधिकरण द्वारा वहन किये जाते हैं।
- विधिक अधिकारों एवं सेवाओं की जागरूकता के लिसए विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जाता है।
- परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्रों में सन्धिकर्ता दल द्वारा पारिवारिक विवादों को सुलह समझौते के आधार पर समाप्त कराये जाने के सतत प्रयास किये जाते हैं।
- मोटर दुर्घटना प्रतिकर वादों में पीड़ित व्यक्तियों को शीघ्र मुआवजा दिलाये जाने हेतु निरन्तर प्रयास किये जाते हैं।
- अन्य सभी प्रकार के विदों में सुलह समझौते द्वारा शीघ्र न्याय दिलाया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नहीं, निःशुल्क विधिक सहायता केवल अधीनस्थ न्यायालयों तक सीमित नहीं है। यह सहायता देश की किसी भी अदालत में – निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक दी जाती है। विधिक सहायता अधिवक्ता ऐसे जरूरतमंद व्यक्तियों का निचली अदालत, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व करते हैं।
अधिनियम की धारा 13(1) के अनुसार, जो कोई भी धारा 12 के अंतर्गत पात्रता मानदंडों को पूरा करता है, उसे विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है, बशर्ते कि संबंधित विधिक सेवा प्राधिकरण यह संतुष्ट हो कि व्यक्ति के पास मुकदमा करने या उसका बचाव करने के लिए एक वास्तविक मामला है। अतः इसमें किसी प्रकार के मामलों की कोई बाध्यता नहीं है – सभी प्रकार के मामलों के लिए आवेदन किया जा सकता है, यदि व्यक्ति धारा 12 के अंतर्गत पात्र हो।
हाँ, निःशुल्क विधिक सहायता के अंतर्गत अपनी पसंद के वकील की सेवा लेना संभव है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं) विनियम, 2010 की विनियम 7(6) के अनुसार, यदि आवेदक ने पैनल में शामिल किसी वकील की अपनी पसंद दर्शाई है, तो सदस्य-सचिव या सचिव उस वकील को आवंटित करने पर विचार कर सकते हैं।
हाँ, आप केवल निःशुल्क कानूनी परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं, भले ही आप अदालत में कोई मामला न लड़ना चाहें।
हाँ, आप मुकदमे के किसी भी चरण में निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं, यदि आप धारा 12 के अंतर्गत पात्र हैं। भले ही आपने पहले निजी वकील रखा हो, यदि आप केवल अपील के स्तर पर निःशुल्क विधिक सहायता चाहते हैं और पात्र हैं, तो आप इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
हा महिलाएं एवं बच्चे मुफत् कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती/सकते है।
हा, जेल मे निरूद्ध सभी बन्दी मुफत् कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
पात्र व्यक्तियों को न्यायालय में पैरवी हेतु सभी प्रकार की विधिक सहायता के लिये नामिका/प्रतिधारक अधिवक्ता उपलब्ध हैं।
मुफत् कानूनी सहायता की सुविधा मजिस्ट्रेट, सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सभी न्यायालयों के लिये उपलब्ध हैं।
- लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक मंच है।
- सभी प्रकार के सिविल वाद तथा ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें समझौता वर्जित है, सभी आपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते हैं।
- लोक अदालत के फैसलों के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।
- लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामले में अदा की गयी कोर्ट फीस लौटा दी जाती है।
- प्रदेश के सभी जिलों में स्थायी लोक अदालतों के माध्यम से सुलझाने के लिए उस अदालत में प्रार्थनापत्र देने का अधिकार प्राप्त है।
- अभी जो विवाद न्यायालय के समक्ष नहीं आये हैं उन्हें भी प्री-लिटीगेशन स्तर पर बिना मुकदमा दायर किये ही पक्षकरों की सहमति से प्रार्थनापत्र देकर लोक अदालत में फैसला कराया जा सकता है।